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चार वेद, जानिए किस वेद में क्या है ?(Four Vedas, Know What Is in The Vedas)


वेद दुनिया के प्रथम धर्मग्रंथ है। इसी के आधार पर दुनिया के अन्य मजहबों की उत्पत्ति हुई जिन्होंने वेदों के ज्ञान को अपने अपने तरीके से भिन्न भिन्न भाषा में प्रचारित किया।वेद' शब्द संस्कृत भाषा के विद् ज्ञाने धातु से बना है। इस तरह वेद का शाब्दिक अर्थ 'ज्ञान' है।  वेद ईश्वर द्वारा ऋषियों को सुनाए गए ज्ञान पर आधारित है इसीलिए इसे श्रुति कहा गया है। भारत में वेदों का महत्वपूर्ण स्थान है। ये प्राचीन ज्ञान के स्रोत हैं।


 वेदों की रचना प्राचीन काल के ऋषि मुनियों ने की थी। ऐसा माना जाता है कि ईश्वर ने ऋषि-मुनियों को जो ज्ञान दिया उसे वे लिपिबद्ध करते गए जो आगे चलकर वेद के रूप में जाने गए। वेदों को चार भागों में बांटा गया है- ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद।वेदों को अनेक उपवेदो में भी विभक्त किया गया है। ऋग्वेद को आयुर्वेद, यजुर्वेद को धनुर्वेद, अथर्ववेद को स्थापत्यवेद, सामवेद को गंधर्ववेद में बाटा गया है।


साधारण भाषा में वेद का अर्थ ज्ञान होता है। इनके अंदर मनुष्य की सभी समस्याओं का समाधान मिलता है। वेदों में औषधि, संगीत, देवताओं, हवन, भूगोल, गणित, ज्योतिष, ब्रह्मांड धर्म के नियम, रीति रिवाज, इतिहास सभी के बारे में विस्तार से जानकारी मिलती है।वेदों में मनुष्य को 4 पुरुषार्थ के बारे में बताया गया है। इसे चार आश्रम भी कहते हैं। पहला आश्रम ब्रह्मचर्य माना गया है जिसमें व्यक्ति उपनयन संस्कार (जनेऊ) को धारण करता है।


दूसरा आश्रम गृहस्थ आश्रम है। इसे मनुष्य के जीवन का महत्वपूर्ण चरण माना गया है। इसमें व्यक्ति विवाह करता है और काम का व्यवहार करता है। वह संतान उत्पत्ति करता है और समाज के कर्तव्यों का पालन करता है। इसके बाद व्यक्ति वानप्रस्थ आश्रम में प्रवेश करता है इसमें व परिवार का त्याग कर देता है और जंगल में जाकर सांसारिक विषयों से दूर हो जाता है।


वैदिक काल में ग्रंथों का संचरण मौखिक परंपरा द्वारा किया गया था, विस्तृत नैमनिक तकनीकों की सहायता से परिशुद्धता से संरक्षित किया गया था।


वेद मानव सभ्यता के लगभग सबसे पुराने लिखित दस्तावेज हैं। वेदों की 28 हजार पांडुलिपियाँ भारत में पुणे के 'भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट' में रखी हुई हैं। इनमें से ऋग्वेद की 30 पांडुलिपियाँ बहुत ही महत्वपूर्ण हैं जिन्हें यूनेस्को ने विरासत सूची में शामिल किया है। यूनेस्को ने ऋग्वेद की 1800 से 1500 ई.पू. की 30 पांडुलिपियों को सांस्कृतिक धरोहरों की सूची में शामिल किया है। उल्लेखनीय है कि यूनेस्को की 158 सूची में भारत की महत्वपूर्ण पांडुलिपियों की सूची 38 है।



1.ऋग्वेद (Rigveda)


यह सबसे प्राचीन ग्रंथ है। इसे पद्य शैली (कविता के रूप में) लिखा गया है। ऋग्वेद में 10 मंडल, 1028 सूक्त, 10580 ऋचाये हैं। ऋग्वेद ऋक शब्द रूप से बना है जिसका अर्थ स्थिति और ज्ञान होना है। इस ग्रंथ में देवताओं के आवाहन के मंत्रों,  देवलोक में उनकी स्थिति के बारे में बताया गया है।


इसके साथ ही ऋग्वेद में हवन द्वारा चिकित्सा, जल चिकित्सा, वायु चिकित्सा, मानस चिकित्सा की जानकारी भी दी गई है। ऋग्वेद के दसवें मंडल में औषधि सूक्त की जानकारी मिलती है जिसमें दवाओं के बारे में विस्तार से बताया गया है। इसमें 125 प्रकार की औषधियों के बारे में बताया गया है जो 107 स्थानों पर पाई जाती हैं। ऋग्वेद में च्यवनऋषि को पुनः युवा करने की कहानी भी मिलती है।



2.यजुर्वेद (Yajurved)


यजुर्वेद  शब्द यत् + जु = यजु से मिलकर बना है। यत का अर्थ गतिशील और जु का अर्थ आकाश होता है। इस तरह यजुर्वेद का अर्थ आकाश में गतिशील होने से है। इसमें श्रेष्ठ कर्म करने पर जोर दिया गया है। यजुर्वेद में यज्ञ करने की विधियां और प्रयोग के बारे में बताया गया है।


तत्व विज्ञान के बारे में भी चर्चा की गई है। ब्राह्मण, आत्मा, ईश्वर और पदार्थ के ज्ञान के बारे में जानकारी मिलती है। यजुर्वेद की दो शाखाएं हैं- कृष्ण यजुर्वेद और शुक्ल यजुर्वेद। कृष्ण यजुर्वेद दक्षिण भारत में और शुक्ल यजुर्वेद उत्तर भारत में प्रचलित है। यजुर्वेद में कुल 18 कांड हैं 3988 मंत्र हैं



३. सामवेद (Samved)


सामवेद साम शब्द से बना है इसका अर्थ रूपांतरण, संगीत, सौम्यता और उपासना होता है। सामवेद में ऋग्वेद की रचनाओं को संगीतमय रूप में प्रस्तुत किया गया है। सामवेद को गीतात्मक (गीतों के रूप में) लिखा गया है। इस वेद को संगीत शास्त्र का मूल माना जाता है। इसमें 1824 मंत्र हैं जिसमें इंद्र, सविता, अग्नि जैसे देवताओं का वर्णन है। सामवेद की 3 शाखाएं हैं। इसमें 75 ऋचाये हैं।



४. अथर्वदेव (Athar Ved)


अथर्व शब्द थर्व+ अथर्व शब्द से मिलकर बना है। थर्व का अर्थ कंपन और अथर्व का अर्थ अकंपन होता है। इस वेद में रहस्यमई विद्याओं, चमत्कार, जादू टोने, आयुर्वेद जड़ी बूटियों का वर्णन मिलता है। इसमें कुल 20 अध्याय में 5687 मंत्र हैं। अथर्ववेद आठ खंड में विभाजित है। इसमें भेषज वेद और धातु वेद दो प्रकार मिलते हैं।






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1 comments:

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    ReplyDelete


mahakal ki kirpa bani rehee app logo per

Jai Mahakal ki

जन्नत की चाहत तो 72 हूरों का ख्वाब है
हम तो #महाकाल के भक्त हैं
हमें #चिताओं से भी प्यार है।।

आश्चर्य की बात है.. कि लोग जीवन को बढाना चाहते है.. सुधारना नही..हर हर महादेव🙏🙏


पढ़ते क्या हो आंखों में मेरी कहानी? … Attitude 😈 में रहना तो आदत है मेरी पुरानी 😎 #महाकाल


भटक भटक के ये जग हारा,संकट में कोई दिया ना साथ
सुलझ गई हर एक समस्या,महाकाल ने जब से पकड़ा हाथ...🔱जय बाबा #महाकाल 🙏


महाकाल को देवता नहीं अपना मित्र बना लो एक सखा एक अभिभावक जो भी करो बताओ सही गलत का आत्मिक अनुभव करा देता है मेरा महाकाल वो अपना है