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Mahakal Status And Quotes New 2020+

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हम महाकाल के चीते है… इसी लिए बेफिक्र जीते है….
हम वो भोले के भक्त है जो श्मशान मे खेला करते है ,जो हमसे खेले उन्हें हम खिलाया करते है 🌺🌺 जय श्री महाकाल 🌺🌺



शिव की ज्योति से नूर मिलता है,
सबके दिलों को सुरूर मिलता है;
जो भी जाता है भोले के द्वार,
कुछ न कुछ ज़रूर मिलता है!



मिलावट है भोलेनाथ
तेरे इश्क में इत्र और नशे की
तभी तो मैं थोडा महका हुआ
और थोडा बहका हुआ हूँ



तेरे दरबार में आकर, ख़ुशी से फूल जाता हूँ..
गम चाहे कैसा भी हो, मै आकर भूल जाता हूँ..
बताने बात जो आऊ, वही मै भूल जाता हूँ..
ख़ुशी इतनी मिलती है कि, मांगना भूल जाता हूँ..हर हर महादेव 🙏



ये केसी घटा छाई हैं,
हवा में नई सुर्खी आई है,
फ़ैली है जो सुगंध हवा में ,
जरुर महादेव ने चिलम लगाई है |



मुझे अपने आप में कुछ यु बसा लो,
के ना रहू जुदा तुमसे,
और खुद से तुम हो जाऊ.
जय भोलेनाथ.



खुल चूका है नेत्र तीसरा
शिव शम्भू त्रिकाल का,
इस कलयुग में वो ही बचेगा
जो भक्त होगा महाकाल का.




ॐ त्रियम्बकं यजामहे, सुगन्धिं पुष्टिवर्धनं ! उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मोक्षिय मामृतात् !!



अकाल मत्यु वो मरे, जो काम करे चण्डाल का, काल उसका क्या बिगाड़े, जो भक्त हो महाकाल का…हर हर महादेव



मैँ और मैरा भोलेनाथ
दोनो ही बङे भुलक्कङ है,
वो मेरी गलतियां भूल जाते है
और मै उनकी मेहरबानियों को.



जिनके रोम-रोम में शिव हैं
वही विष पिया करते हैं ,
जमाना उन्हें क्या जलाएगा ,
जो श्रृंगार ही अंगार से किया करते हैं.



जख्म भी भर जायेगे, चेहरे भी बदल जायेगे, तू करना याद महाकाल को तुझे दिल और दिमाग मे सिर्फ औरसिर्फ महाकाल नजर आयेगे… हर हर महादेव



#भोले तने तो सारी #दुनिया पार #तारी हे
#कदे मेरे #सर पे बी #हाथ_धर क कह दे
#चाल_बेटे_आज तेरी #बारी हे
jai mahakal



#इतणी_मटक कै ना चाल्लै , हाम #नजर लगा देगे
#भौले के भगत सै #गदर_मचा देगे



🕉🚩काल का भी उस पर क्या आघात हो …. जिस बंदे पर महाकाल का हाथ हो..!!🕉🚩




#चाहे_सुली_ प_चढा_दे_भोले,,,,
चाहे_विष_का_प्याला_प्या_दे_भोले
#एक_तेरे_ए_जितणी_प्यारी_है



#बस_उस_भगतणी_त_मिलवादे_भोले,,,,,,,
अंतर यामी सब का स्वामी भक्तों का रखवाला, ३ लोक में बाँठ रहा है वो दिन रात उजाला । आयो महिमा गए भोलेनाथ की, भक्ति में खो जाए भोलेनाथ की


👉हिन्दूगिरी 👥के बादशाह👑 हैं हम👨...
तलवार 🗡हमारी👨 रानी 👸हैं ..दादागिरी👊तो करते ही है ..
बाकी 🖐महाकाल 👻की मेहरबानी 👊है ...!!👈



ॐ नम: शिवाय, ॐ नम: शिवाय रटता जा । जय भोले जय भोले रटता जा, शिव शंकर शिव शंकर रटता जा । महाकाल का नाम रटता जा ।



#मोहोब्बत_का_तो_पता_नही_पर,
#दिल_लगी_सिर्फ_महाँकाल_से_है।😍😍
#जय_श्री_महाँकाल



मेरे महाकाल कहते हैं कि मत सोच तेरा सपना पूरा होगा या नहीं होगा…क्योंकि जिसके कर्म अच्छे होते हैं उनकी तो मैं भी मदद करता हूँ…




घनघोर अँधेरा ओढ़ के...
मैं जन जीवन से दूर हूँ...
श्मशान में हूँ नाचता



मैं मृत्यु का ग़ुरूर हूँ...
शिव शंकर को जिसने पूजा उसका ही उद्धार हुआ…. अंत काल को भवसागर में उसका बेड़ा पार हुआ …



कुत्तो की बढी तादाद से..शेर मरा नही करते..और #महाकाल के दिवाने..किसी के #बाप से ड़रा नही करते..?? जय श्री #महाकाल



उसने ही जगत बनाया है, कण कण में वोही समाया है ।
दुःख भी सुख सा ही बीतेगा, सर पे जब शिव का साया है..



बम भोले डमरू वाले शिव का प्यारा नाम है
भक्तो पे दर्श दिखता हरी का प्यारा नाम है
शिव जी की जिसने दिल से है की पूजा
शंकर भगवान ने उसका सवारा काम है!





सारा🌍ब्राम्हॉंन्ड झुकता है
जिसके शरण में
मेरा🙏प्रणाम है उन 🔱#महाकाल के चरण में



भोले शंकर की पूजा करो , ध्यान चरणों में इनके धरो। .. हर हर महादेव शिव शम्बू



माथे का तिलक कभी हटेगा नही
और जब तक जिन्दा हूँ तब तक
🔱#महाकाल का नाम मुँह से मिटेगा नही



तन की जाने, मन की जाने, जाने चित की चोरी उस महाकाल से क्या छिपावे जिसके हाथ है सब की डोरी



आओ भगवान शिव का नमन करें,
उनका आशीर्वाद हम सब पर बना रहे।



हे🔱#महाकाल उन👥सबको मंजिल तक पहुँचा देना
जो खुदसे ज्यादा तुझ पर यकीन करता हो



मेरे महाकाल तुम्हारे बिना मैं शून्य हूँ ….. तुम साथ हो महाकाल तो में अनंत हूँ … जय श्री त्रिकालनाथ महाकाल…



शिव की शक्ति, शिव की भक्ति, ख़ुशी की बहार मिले, शिवरात्रि के पावन अवसर पर आपको ज़िन्दगी की एक नई अच्छी शुरुवात मिले!
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Top 50+ Mahakal Attitude Status for facebook whatsapp - MahakalBestStatus.blogspot

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भोलेनाथ स्टेटस हिन्दू धर्म में महादेव, त्रिदेवों में सबसे महत्वपूर्ण देवता हैं | आप नये महाकाल के लेटेस्ट पोस्ट यहाँ देख सकते है । Mahakal WhatsApp Status in Hindi, Bholenath Mahadev Status.



कर्ता करे न कर सके,#शिव करे सो होय।
तीन लोक नव खंड में #शिव से बड़ा न कोय।।




जिन्दा #साँस और मुरदा राख
चिलम मे #गाँजा दूध मे #भाँग
देव भी सोचे बार #बार
#दम लगाये #हजार बार
ऐसे है #महाकाल




#महाशिवरात्रि_की_हार्दिक_शुभकामनाएँ
#शिवरात्रि की धूम है
#भोलेनाथ का दिन है
कर रहे सभी पूजा, प्रार्थना
करने को पूरी कामना
#शिव जी होंगे प्रसन्न
देंगे आशीर्वाद और धन
#हर_हर_महादेव
#जय_महाकाल
#ॐ_नमः_शिवाय




अनादि #शिव हैं, ओंकार #शिव हैं,
शिव ही ब्रह्म, शिव ही शक्ति
मुझे अपने आप में कुछ यु बसा लो…
के ना रहू जुदा तुमसे,, और खुद से तुम हो जाऊ…जय भोलेनाथ.




#महाकाल तुम से छुप जाए मेरी #तकलीफ
#ऐसी कोई बात #नही ।
#तेरी_भक्ती से ही #पहचान है मेरी #वरना
#मेरी कोई #ओकात_नही ।।




#महाकाल के भक्तो से #पंगा
और भरी महफील मे #दंगा
मत करना #वरना
चोराहे पे नंगा
और #अस्थियो को गंगा में #बहा दूंगा....




ना गिन के दिया ना तोल के दिया,
“मेरे महाकाल ने जिसे भी दिया
दिल खोल के दिया”




अनादि #शिव हैं, ओंकार #शिव हैं,
शिव ही ब्रह्म, शिव ही शक्ति




क्या करूँगा मैं अमीर बन कर,
मेरा ‪महाकाल तो ‪फकीर‬ का दीवाना है..!




लोग तो #लङकी के #आशिक होते है… हम तो #महादेव के दिवाने हैं…








*#_जब भी मैँ ➪ अपने ⇛बुरे # हालातो ☹ से ➦ # घबराता हूँ…_*
*_तब मेरे ➙ # महाकाल की ⇥ # अवाज 🗣आती है….रूक मैँ ➧आता हूँ…._*



जहाँ पर आकर लोगों की #नवाबी ख़त्म हो जाती है,
बस वहीं से #महाकाल के #दीवानों की #बादशाही शुरू होती है..!



आग लगे उस जवानी कों ज़िसमे,
#महाकाल नाम की दिवानगी न हो!
जय श्री महाकाल



नजर पड़ी #_महाकाल की मुझ पर तब जाके ये संसार मिला,
बड़े ही #भाग्यशाली #_शिवप्रेमी है हम जो #_महाकाल का #प्यार_मिला..!



तेरी माया तूँ ही जाने ,
हम तो बस तेरे दीवाने
#जय_महाकाल



महाकाल तेरी कृपा रही तो
एक दिन अपना भी मुकाम होगा !!
70 लाख की Audi कार होगी
और FRONT शीशे पे
महाकाल तेरा नाम होगा.



मैनें तेरा नाम लेके ही
सारे काम किये है महादेव
और लोग समजतें है
की बन्दा किस्मत वाला है



कृपा जिनकी मेरे ऊपर,
तेवर भी उन्हीं का वरदान है
शान से जीना सिखाया जिसने,
“महाँकाल” उनका नाम है!



शिव की बनी रहे आप पर छाया,
पलट दे जो आपकी किस्मत की काया;
मिले आपको वो सब अपनी ज़िन्दगी में,
जो कभी किसी ने भी न पाया!



मिलती है तेरी भक्ती
#महाकाल बडे जतन के बाद,
पा ही लूँगा #तुझे मे…
श्मशान मे जलने के बाद।



#महाकाल तुम से छुप जाए मेरी #तकलीफ
#ऐसी कोई बात #नही ।
#तेरी_भक्ती से ही #पहचान है मेरी #वरना
#मेरी कोई #ओकात_नही ।।



भांग से सजी है #सूरत तेरी करू कैसे इसका #गुणगान,
जब हो जायेगी #आँखे मेरी भी #लाल तभी दिखेगे #महाकाल..! #जय महाकाल



वो लम्हा …….मेरी ज़िन्दगी का बड़ा अनमोल होता है…
मेरे#महाकाल जब तेरी बातें,…तेरी यादें, ..तेरा माहौल होता है..



यह कह कर मेरे #दुश्मन मुझे छोड़ गये कि, ये तो “महाकाल” का भक्त है,
पंगा लिया तो #महाकाल नंगा कर देंगे 😎



फिदा हो जाऊँ..
तेरी किस-किस अदा पर #महाकाल
अदायें लाख तेरी, बेताब #दिल एक हें मेरा



हम तो एक ही रिश्ता जानते हैं!
दिल वाला रिश्ता...
और दिल में तो
#महाकाल मुस्कुरा रहा है,
तोड़ सारे भ्रम दोष कृपा बरसा रहा है.



यह कलयुग है
यहाँ ताज #अच्छाई को नही
#बुराई को मिलता है,
लेकिन हम तो बाबा #महाकाल के दीवाने है ,
ताज के नही #रुद्राक्ष के दीवाने है.



मौत की गोद में सो रहे हैं
धुंए में हम खो रहे है
महाकाल की भक्ति है सबसे ऊपर
शिव शिव जपते जाग रहे है, सो रहे हैं!



#इश्क मे पागल छोरे छोरिया
वेलेनटाइन डे के गुलाब बिन रहै है,
#हम तो बाबा #महाकाल के दिवाने है
#शिवरात्री के दिन गिन रहे है


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रुद्राक्ष क्या है |रुद्राक्ष कहां पाए जाते हैं | रुद्राक्ष की पहचान

रुद्राक्ष एलोकार्पस गनिट्रस पेड़ का बीज है, रुद्राक्ष एक विशेष पेड़ की प्रजाति का बीज है जो आमतौर पर पहाड़ों में एक निश्चित ऊंचाई पर बढ़ता है - मुख्य रूप से हिमालयी क्षेत्र में। दुर्भाग्य से, इनमें से अधिकांश पेड़ों का उपयोग रेलवे स्लीपर बनाने के लिए किया गया था, इसलिए उनमें से बहुत कम भारत में शेष हैं। आज, वे ज्यादातर नेपाल, बर्मा, थाईलैंड या इंडोनेशिया में पाए जाते हैं। वे दक्षिण भारत में पश्चिमी घाट के कुछ हिस्सों में हैं, लेकिन सबसे अच्छी गुणवत्ता वाले लोग हिमालय में एक निश्चित ऊंचाई से आते हैं क्योंकि किसी भी तरह मिट्टी, वातावरण और सब कुछ इसे प्रभावित करता है। इन बीजों में एक बहुत ही अनूठा कंपन होता है।

रुद्राक्ष संस्कृत भाषा का एक यौगिक शब्द है जो रुद्र और अक्सा नामक शब्दों से मिलकर बना है।“रुद्र” भगवान शिव के वैदिक नामों में से एक है और “अक्सा” का अर्थ है ' अश्रु की बूँद' अत: इसका शाब्दिक अर्थ भगवान रुद्र (भगवान शिव) के आसुं से है।

मुखी की परिभाषा
संस्कृत में मुखी (संस्कृत: मुखी) का मतलब चेहरा होता है इसलिए मुखी का अर्थ रुद्राक्ष का मुख है, एक मुखी रुद्राक्ष का अर्थ एक मुंह वाला रुद्राक्ष


भारत के विभिन्न प्रदेशों में रुद्राक्ष | Rudraksha in different regions of India
रुद्राक्ष भारत, के हिमालय के प्रदेशों में पाए जाते हैं. इसके अतिरिक्त असम, मध्य प्रदेश, उतरांचल, अरूणांचल प्रदेश, बंगाल, हरिद्वार, गढ़वाल और देहरादून के जंगलों में पर्याप्त मात्र में यह रुद्राक्ष पाए जाते हैं. इसके अलावा दक्षिण भारत में नीलगिरि और मैसूर में तथा कर्नाटक में भी रुद्राक्ष के वृक्ष देखे जा सकते हैं. रामेश्वरम में भी रुद्राक्ष पाया जाता है यहां का रुद्राक्ष काजु की भांति होता है. गंगोत्री और यमुनोत्री के क्षेत्र में भी रुद्राक्ष मिलते हैं.

नेपाल और इंडोनेशिया से प्राप्त रुद्राक्ष |Rudraksha found in Nepal and Indonesia.
नेपाल, इंडोनेशिया, मलेशिया आदि प्रमुख रूप से रुद्राक्ष के बहुत बड़े उत्पादक रहे हैं और भारत सबसे बडा़ ख़रीदार रहा है. नेपाल में पाए जाने वाले रुद्राक्ष आकार में काफी बडे़ होते हैं, लेकिन इंडोनेशिया और मलेशिया में पाए जाने वाले रुद्राक्ष आकार में छोटे होते हैं. 

रुद्राक्ष को प्राचीन काल से आभूषण के रूप में,सुरक्षा के लिए,ग्रह शांति के लिए और आध्यात्मिक लाभ के लिए प्रयोग किया जाता रहा है. कुल मिलाकर मुख्य रूप से सत्तरह प्रकार के रुद्राक्ष पाए जाते हैं, परन्तु ग्यारह प्रकार के रुद्राक्ष विशेष रूप से प्रयोग में आते हैं. रुद्राक्ष का लाभ अदभुत होता है और प्रभाव अचूक , परन्तु यह तभी सम्भव है जब सोच समझकर नियमों का पालन करके रुद्राक्ष धारण किया जाय. बिना नियमों को जाने गलत तरीके से रुद्राक्ष को धारण करने से लाभ बिलकुल नहीं होता , बल्कि कभी कभी नुकसान भी हो सकता है.

आज भारत में, एक और बीज है, जिसे भद्राक्ष कहा जाता है, जो एक जहरीला बीज है, जो उत्तर प्रदेश, बिहार और उस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर बढ़ता है। देखने के लिए, ये दोनों बीज समान दिखते हैं। आप अंतर नहीं कर सकते। यदि आप संवेदनशील हैं, तो आपको अंतर पता चल जाएगा।तो अपनी हथेलियों में लेने पर आपको दोनों में अंतर खुद पता चल जाएगा। चूंकि यह बीज जहरीला होता है, इसलिए इसे शरीर पर धारण नहीं करना चाहिए। इसके बावजूद बहुत सी जगहों पर इसे रुद्राक्ष बताकर बेचा जा रहा है। इसलिए यह बेहद जरूरी है कि जब भी आपको रुद्राक्ष लेना हो, आप इसे किसी भरोसेमंद जगह से ही लें।यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने माला को विश्वसनीय स्रोत से प्राप्त करें

रुद्राक्ष की पहचान कैसे करें
रुद्राक्ष हमेशा उन्हीं लोगों से संबंधित रहा है, जिन्होंने इसे अपने पावन कर्तव्य के तौर पर अपनाया। परंपरागत तौर पर पीढ़ी-दर-पीढ़ी वे सिर्फ रुद्राक्ष का ही काम करते रहे थे। हालांकि यह उनके रोजी रोटी का साधन भी रहा, लेकिन मूल रूप से यह उनके लिए परमार्थ का काम ही था। जैसे-जैसे रुद्राक्ष की मांग बढ़ने लगी, इसने व्यवसाय का रूप ले लिया। 

अगर आप अपने जीवन को शुद्ध करना चाहते हैं तो रुद्राक्ष उसमें मददगार हो सकता है। जब कोई इंसान अध्यात्म के मार्ग पर चलता है, तो अपने लक्ष्य को पाने के लिए वह हर संभव उपाय अपनाने को आतुर रहता है। ऐसे में रुद्राक्ष निश्चित तौर पर एक बेहद मददगार जरिया साबित हो सकता है।
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कौन है भगवान शिव शंकर |Science-Prove| जाने इनके रूप स्वभाव

शिव संस्कृत भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है, कल्याणकारी या शुभकारी। यजुर्वेद में शिव को शांतिदाता बताया गया है। 'शि' का अर्थ है, पापों का नाश करने वाला |हमने परंपरा और संस्कृति में शिव के लिए कई अद्भुत रूपों का निर्माण किया। गूढ़, गैर-विचारशील ईश्वर; शुभ शम्भो; निहत्थे भोले भोले; दक्षिणामूर्ति, वेदों के महान गुरु और शिक्षक, शास्त्र और तंत्र; आसानी से क्षमा करने वाला आशुतोष; भैरव, वह जो विधाता के बहुत खून से रंगा था; अचलेश्वर, परम शांति; नर्तक के सबसे गतिशील, नटराज - जीवन के जितने भी पहलू हैं, कि उसे कई पहलुओं की पेशकश की गई है।


योग का जन्म
आज जिस भी चीज़ को हम योग के नाम से जानते हैं, उसकी शुरुआत कई सालों पहले भगवान शिव द्वारा की गयी थी। वैज्ञानिक तथ्य भी यह बताते हैं कि करीब पचास हज़ार साल पहले मानव चेतना में एक जबरदस्त उछाल आया था।


आधुनिक मानवशास्त्र और विज्ञान के मुताबिक आज से करीब पचास हजार साल और सत्तर हजार साल पहले के बीच कहीं कुछ घटित हुआ। इन बीस हजार सालों के दौरान कुछ ऐसा हुआ, जिसने अचानक मानव जाति में बुद्धि को एक अलग स्तर तक पहुंचा दिया। इंसानों में बुद्धि और चेतना का अचानक विस्फोट सा हुआ, जो सामान्य विकास के क्रम में नहीं है। उस समय कुछ ऐसी प्रेरक घटनाएं हुईं जिसने उस समय के मानव की बुद्धि और चेतनता के विकास को एकदम से तीव्र कर दिया। योगिक परंपरा के मुताबिक यही वो समय था जब हिमालय क्षेत्र में योगिक प्रक्रिया की शुरुआत हुई थी।


आदियोगी ने अपने सात शिष्यों यानी सप्तऋषियों के साथ दक्षिण का रुख किया। उन्होंने जीवन-तंत्र की खोज करनी शुरू कर दी, जिसे आज हम योग कहते हैं। मानवता के इतिहास में पहली बार किसी ने इस संभावना को खोला कि अगर आप इसके लिए कोशिश करने को इच्छुक हैं, तो आप अपनी पूरी चेतना में अपनी वर्तमान अवस्था से दूसरी अवस्था में विकसित हो सकते हैं। आदियोगी ने बताया कि आपका जो वर्तमान ढांचा है, यही आपकी सीमा नहीं है। आप इस ढांचे को पार कर सकते हैं और जीवन के एक पूरी तरह से अलग पहलू की ओर बढ़ सकते हैं।

एक ऋषि दक्षिण अमेरिका तो एक दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में चले गए। एक शिष्य ने कभी अपना मुंह नहीं खोला और न ही कोई उपदेश दिया, लेकिन उनकी मौजूदगी ने बड़े-बड़े काम किए। उस ज्ञान के प्रसार के लिए इन सात लोगों को भेजा गया। योगिक कथाओं में कई तरह से इसका वर्णन है


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तीसरी आंख : शिव को हमेशा त्रयंबक कहा गया है, क्योंकि उनकी एक तीसरी आंख है। इसका मतल‍ब सिर्फ यह है कि बोध या अनुभव का एक दूसरा आयाम खुल गया है। दो आंखें सिर्फ भौतिक चीजों को देख सकती हैं।अगर तीसरी आंख खुल जाती है, तो इसका मतलब है |कि भीतर की ओर देख सकता है। इस बोध से आप जीवन को बिल्कुल अलग ढंग से देख सकते हैं| आप चीजों को इस तरह देखते हैं, जो आपके जीवित रहने के लिए जरूरी हैं


चंद्रमा : शिव के कई नाम हैं। उनमें एक काफी प्रचलित नाम है सोम या सोमसुंदर। वैसे तो सोम का मतलब चंद्रमा होता है मगर सोम का असली अर्थ नशा होता है। नशा सिर्फ बाहरी पदार्थों से ही नहीं होता, बल्कि केवल अपने भीतर चल रही जीवन की प्रक्रिया में भी आप मदमस्त रह सकते हैं।

नंदी : नंदी अनंत प्रतीक्षा का प्रतीक है। भारतीय संस्कृति में इंतजार को सबसे बड़ा गुण माना गया है। जो बस चुपचाप बैठकर इंतजार करना जानता है, वह कुदरती तौर पर ध्यानमग्न हो सकता है।ध्यान का मतलब है कि आप भगवान की बात सुनना चाहते हैं। आप बस अस्तित्व को, सृष्टि की परम प्रकृति को सुनना चाहते हैं। आपके पास कहने के लिए कुछ नहीं है, आप बस सुनते हैं। नंदी का गुण यही है

त्रिशूल : शिव का त्रिशूल जीवन के तीन मूल पहलुओं को दर्शाता है। योग परंपरा में उसे रुद्र, हर और सदाशिव कहा जाता है।जिन्हें कई रूपों में दर्शाया गया है। उन्हें इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना भी कहा जा सकता है। ये तीनों प्राणमय कोष यानि मानव तंत्र के ऊर्जा शरीर में मौजूद तीन मूलभूत नाड़ियां हैं – बाईं, दाहिनी और मध्य। नाड़ियां शरीर में उस मार्ग या माध्यम की तरह होती हैं जिनसे प्राण का संचार होता है। तीन मूलभूत नाड़ियों से 72,000 नाड़ियां निकलती हैं। इन नाड़ियों का कोई भौतिक रूप नहीं होता। यह आपके दो पहलू – तर्क-बुद्धि और सहज-ज्ञान हो सकते हैं।

सर्प  : योग संस्कृति में, सर्प यानी सांप कुंडलिनी का प्रतीक है। यह आपके भीतर की वह उर्जा है जो फिलहाल इस्तेमाल नहीं हो रही है। कुंडलिनी का स्वभाव ऐसा होता है कि जब वह स्थिर होती है, तो आपको पता भी नहीं चलता कि उसका कोई अस्तित्व है। केवल जब उसमें हलचल होती है, तभी आपको महसूस होता है कि आपके अंदर इतनी शक्ति है। जब तक वह अपनी जगह से हिलती-डुलती नहीं, उसका अस्तित्व लगभग नहीं के बराबर होता है।

ॐ नम: शिवाय : “ॐ नम: शिवाय” वह मूल मंत्र है, जिसे कई सभ्यताओं में महामंत्र माना गया है। इस मंत्र का अभ्यास विभिन्न आयामों में किया जा सकता है। इन्हें पंचाक्षर कहा गया है, इसमें पांच मंत्र हैं। ये पंचाक्षर प्रकृति में मौजूद पांच तत्वों के प्रतीक हैं और शरीर के पांच मुख्य केंद्रों के भी प्रतीक हैं। इन पंचाक्षरों से इन पांच केंद्रों को जाग्रत किया जा सकता है। ये पूरे तंत्र (सिस्टम) के शुद्धीकरण के लिए बहुत शक्तिशाली माध्यम हैं।

लेकिन अगर आपके अंदर एक खास तरह की तैयारी नहीं है तो बेहतर होगा कि आप खुद मंत्रोच्‍चारण न करें। आप इस मंत्रोच्‍चारण को खूब ध्‍यान से सुनें, यही लाभदायक होगा।


भगवान शिव : जो शून्य से परे हैं
योगिक विज्ञान में  भगवान शिव को रूद्र कहा जाता है। रूद्र का अर्थ है वह जो रौद्र या भयंकर रूप में हो। शिव को सृष्टि -कर्ता भी कहा जाता है। आइये जानते हैं कि कैसे शिव के इन्हीं दोनों पक्षों के मेल को ही विज्ञान बिग-बैंग का नाम दे रहा है।
आपको पता है आजकल वैज्ञानिक कह रहे हैं कि हर चीज डार्क मैटर से आती है साथ ही उन्होंने डार्क एनर्जी के बारे में भी बात करना शुरू कर दिया है। योग में हमारे पास दोनों मौजूद हैं - डार्क मैटर भी और डार्क एनर्जी भी। यहां शिव को काला माना गया है यानी डार्क मैटर और शक्ति का प्रथम रूप या डार्क एनर्जी को काली कहा जाता है। योग कैसे सृष्टि को भीतर से समझाता है। यह एक तार्किक संस्कृति है।

इसकी शब्दावली की अपनी एक खास पहचान है, क्योंकि यह एक ऐसे पहलू के बारे में बात कर रही है जो हमारी तार्किक समझ के दायरे में नहीं है। लेकिन इसे तार्किक ढंग से बताना ज्यादा अच्छा है।

शिव सो रहे हैं। जब हम यहां शिव कहते हैं तो हम किसी व्यक्ति या उस योगी के बारे में बात नहीं कर रहे हैं, यहां शि-व का मतलब है “वह जो है ही नहीं”। जो है ही नहीं, वह सिर्फ सो सकता है। इसलिए शिव को हमेशा ही डार्क बताया गया है।
शिव सो रहे हैं और शक्ति उन्हें देखने आती हैं। वह उन्हें जगाने आई हैं क्योंकि वह उनके साथ नृत्य करना चाहती हैं, उनके साथ खेलना चाहती हैं और उन्हें रिझाना चाहती हैं। शुरू में वह नहीं जागते, लेकिन थोड़ी देर में उठ जाते हैं। शिव  गुस्से में गरजे और तेजी से उठकर खड़े हो गए। उनके ऐसा करने के कारण ही उनका पहला रूप और पहला नाम रुद्र पड़ गया। रुद्र शब्द का अर्थ होता है – दहाडऩे वाला, गरजने वाला।


ॐ नम: शिवाय” मंत्रोच्‍चारण को खूब ध्‍यान से सुनें लाभदायक होगा continue reading.....
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जानिए, क्यों मनाई जाती है शिवरात्रि ||why is shivratri celebrated


महाशिवरात्रि का त्यौहार भारत के आध्यात्मिक उत्सवों की सूची में सबसे महत्वपूर्ण है | यह रात इतनी महत्वपूर्ण क्यों है और हम इसका लाभ कैसे उठा सकते हैं।

महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है?
हर चंद्र मास का चौदहवाँ दिन अथवा अमावस्या से पूर्व का एक दिन शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। एक कैलेंडर वर्श में आने वाली सभी शिवरात्रियों में से, महाशिवरात्रि, को सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना जाता है, जो फरवरी-मार्च माह में आती है। इस रात, ग्रह का उत्तरी गोलार्द्ध इस प्रकार अवस्थित होता है कि मनुष्य भीतर ऊर्जा का प्राकृतिक रूप से ऊपर की और जाती है। यह एक ऐसा दिन है, जब प्रकृति मनुष्य को उसके आध्यात्मिक शिखर तक जाने में मदद करती है। इस समय का उपयोग करने के लिए, इस परंपरा में, हम एक उत्सव मनाते हैं, जो पूरी रात चलता है। पूरी रात मनाए जाने वाले इस उत्सव में इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि ऊर्जाओं के प्राकृतिक प्रवाह को उमड़ने का पूरा अवसर मिले – आप अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए – निरंतर जागते रहते हैं।

महाशिवरात्रि का महत्व
महाशिवरात्रि आध्यात्मिक पथ पर चलने वाले साधकों के लिए बहुत महत्व रखती है। यह उनके लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है जो पारिवारिक परिस्थितियों में हैं और संसार की महत्वाकांक्षाओं में मग्न हैं। पारिवारिक परिस्थितियों में मग्न लोग महाशिवरात्रि को शिव के विवाह के उत्सव की तरह मनाते हैं। सांसारिक महत्वाकांक्षाओं में मग्न लोग महाशिवरात्रि को, शिव के द्वारा अपने शत्रुओं पर विजय पाने के दिवस के रूप में मनाते हैं। परंतु, साधकों के लिए, यह वह दिन है, जिस दिन वे कैलाश पर्वत के साथ एकात्म हो गए थे। वे एक पर्वत की भाँति स्थिर व निश्चल हो गए थे। यौगिक परंपरा में, शिव को किसी देवता की तरह नहीं पूजा जाता। उन्हें आदि गुरु माना जाता है, पहले गुरु, जिनसे ज्ञान उपजा। ध्यान की अनेक सहस्राब्दियों के पश्चात्, एक दिन वे पूर्ण रूप से स्थिर हो गए। वही दिन महाशिवरात्रि का था। उनके भीतर की सारी गतिविधियाँ शांत हुईं और वे पूरी तरह से स्थिर हुए, इसलिए साधक महाशिवरात्रि को स्थिरता की रात्रि के रूप में मनाते हैं।


Mahashivratri 2018 (Shiv) Attitude Status, Quotes In Hindi


महाशिवरात्रि का आध्यात्मिक महत्व
इसके पीछे की कथाओं को छोड़ दें, तो यौगिक परंपराओं में इस दिन का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि इसमें आध्यात्मिक साधक के लिए बहुत सी संभावनाएँ मौजूद होती हैं। आधुनिक विज्ञान अनेक चरणों से होते
हुए, आज उस बिंदु पर आ गया है, जहाँ उन्होंने आपको प्रमाण दे दिया है कि आप जिसे भी जीवन के रूप में जानते हैं, पदार्थ और अस्तित्व के रूप में जानते हैं, जिसे आप ब्रह्माण्ड और तारामंडल के रूप में जानते हैं; वह सब केवल एक ऊर्जा है, जो स्वयं को लाखों-करोड़ों रूपों में प्रकट करती है। यह वैज्ञानिक तथ्य प्रत्येक योगी के लिए एक अनुभव से उपजा सत्य है। ‘योगी’ शब्द से तात्पर्य उस व्यक्ति से है, जिसने अस्तित्व की एकात्मकता को जान लिया है। महाशिवारात्रि की रात, व्यक्ति को इसी का अनुभव पाने का अवसर देती है।




शिवरात्रि – महीने का सबसे ज्यादा अँधेरे से भरा दिन
शिवरात्रि माह का सबसे अंधकारपूर्ण दिवस होता है। प्रत्येक माह शिवरात्रि का उत्सव तथा महाशिवरात्रि का उत्सव मनाना ऐसा लगता है मानो हम अंधकार का उत्सव मना रहे हों। कोई तर्कशील मन अंधकार को नकारते हुए, प्रकाश को सहज भाव से चुनना चाहेगा। परंतु शिव का शाब्दिक अर्थ ही यही है, ‘जो नहीं है’। ‘जो है’, वह अस्तित्व और सृजन है। ‘जो नहीं है’, वह शिव है। ‘जो नहीं है’, उसका अर्थ है, अगर आप अपनी आँखें खोल कर आसपास देखें और आपके पास सूक्ष्म दृष्टि है तो आप बहुत सारी रचना देख सकेंगे। अगर आपकी दृष्टि केवल विशाल वस्तुओं पर जाती है, तो आप देखेंगे कि विशालतम शून्य ही, अस्तित्व की सबसे बड़ी उपस्थिति है। कुछ ऐसे बिंदु, जिन्हें हम आकाशगंगा कहते हैं, वे तो दिखाई देते हैं, परंतु उन्हें थामे रहने वाली विशाल शून्यता सभी लोगों को दिखाई नहीं देती। इस विस्तार, इस असीम रिक्तता को ही शिव कहा जाता है। वर्तमान में, आधुनिक विज्ञान ने भी साबित कर दिया है कि सब कुछ शून्य से ही उपजा है और शून्य में ही विलीन हो जाता है। इसी संदर्भ में शिव यानी विशाल रिक्तता या शून्यता को ही महादेव के रूप में जाना जाता है। इस ग्रह के प्रत्येक धर्म व संस्कृति में, सदा दिव्यता की सर्वव्यापी प्रकृति की बात की जाती रही है। यदि हम इसे देखें, तो ऐसी एकमात्र चीज़ जो सही मायनों में सर्वव्यापी हो सकती है, ऐसी वस्तु जो हर स्थान पर उपस्थित हो सकती है, वह केवल अंधकार, शून्यता या रिक्तता ही है। सामान्यतः, जब लोग अपना कल्याण चाहते हैं, तो हम उस दिव्य को प्रकाश के रूप में दर्शाते हैं। जब लोग अपने कल्याण से ऊपर उठ कर, अपने जीवन से परे जाने पर, विलीन होने पर ध्यान देते हैं और उनकी उपासना और साधना का उद्देश्य विलयन ही हो, तो हम सदा उनके लिए दिव्यता को अंधकार के रूप में परिभाषित करते हैं।  Isha Sadhguru site



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Biography of Lord Nilkanth Varni | Swaminarayan


The Purpose Of His Avatar. Swaminarayan Bhagwan incarnated on earth, along with His dham and some of His muktas, to establish ekantik dharma, and grant ...



स्वामीनारायण, जिन्हें सहजानंद स्वामी के नाम से भी जाना जाता है, एक योगी थे, और एक तपस्वी थे |  1792 में, उन्होंने 11 साल की उम्र में घर छोड़ दिया। उनकी 7 साल की यात्रा हिंदू सनातन धर्म के आदर्शों को फिर से स्थापित करने पर केंद्रित है। इन वर्षों के दौरान, वह नीलकंठ वर्णी के नाम से जाना जाता था।

 इस यात्रा के दौरान, उन्होंने  एक अकेला कपड़ा, एक छोटा शास्त्र, एक मूर्ति और एक भीख का कटोरा। उन्होंने केवल उसी चीज के साथ यात्रा की जो आवश्यक थी, अपने परिवार और अन्य सांसारिक संपत्ति को त्याग दिया, और लोगों को भगवान के करीब लाने की अपनी आजीवन यात्रा जारी रखी।

श्रीपुर गाँव में, नीलकंठ को एक शेर की चेतावनी दी गई थी जो ग्रामीणों को आतंकित कर रहा था। स्थानीय मंदिर के महंत ने नीलकंठ से मंदिर की दीवारों के अंदर रात बिताने का आग्रह किया ताकि नुकसान न हो। नीलकंठ ने निमंत्रण को ठुकरा दिया और रात को गाँव की दीवारों के बाहर एक पेड़ के नीचे निवृत्त हो गया। युवा लड़के के लिए भयभीत, महंत ने अपनी खिड़की से बाहर झाँका। नीलकंठ के चरणों में शेर को शांति से झुकता देख वह चौंक गया


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नीलकंठ ने हर उस गाँव में लोगों का ध्यान आकर्षित किया जिसके माध्यम से वह गुजरा। ऐसे ही एक गाँव में, पीबेक नामक एक ब्राह्मण ने नीलकंठ की ओर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने नीलकंठ को गांव छोड़ने के लिए मजबूर करने का संकल्प लिया। पिबेक ने नीलकंठ का सामना किया जब वह साधुओं के एक समूह को प्रवचन दे रहा था और उसने अपनी जान को खतरा बताया। पिबेक का गुस्सा तभी बढ़ा जब उसकी धमक नीलकंठ चेहरे पर एक शांत मुस्कान के साथ हुई। पीबेक ने नीलकंठ को हराने में मदद के लिए, उसकी पसंद के बटुक भैरव को बुलाया। हालांकि, बटुक भैरव ने पिबेक को चेतावनी दी कि उनका काला जादू नीलकंठ की शक्तियों के लिए कोई मुकाबला नहीं था और उन्हें अपनी गलतियों के लिए पश्चाताप करना चाहिए। अंत में नीलकंठ की दिव्य क्षमता का एहसास करते हुए, पिबेक ने उसकी क्षमा मांगी। जवाब में, नीलकंठ ने अनुरोध किया कि पिबक काले जादू का अभ्यास करना छोड़ दें, प्रतिदिन शास्त्र पढ़ें, और प्रतिदिन विष्णु की पूजा करें।

 नीलकंठ की यात्रा भारत के विभिन्न इलाकों में 12,000 किलोमीटर की दूरी तक फैली हुई है: हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियां, असम के जंगल और दक्षिण के समुद्र तट। युवा योगी की तपस्या और साहस ने अनगिनत, भाग्यशाली लोगों को प्रभावित किया |नीलकंठ आगे बढ़ता रहा। बड़े पैमाने पर पहाड़ों और घने जंगलों को पार करने के बाद वह अब एक ऐसे स्थान पर पहुँच गया जहाँ उसे बर्फबारी का सामना करना पड़ा


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हिमालय से यात्रा करते समय, नीलकंठ ने वर्ष के सबसे ठंडे महीनों की गंभीर जलवायु को सहन किया, एक समय जब यहां तक ​​कि हिमालय के निवासी गर्म तापमान पर चले जाते हैं। भौतिक चुनौतियों के बावजूद, नीलकंठ, विष्णु, मुक्तिनाथ को समर्पित मंदिर में पहुंचने के लिए 12,500 फीट की ऊंचाई पर चढ़ गए। यहाँ, उन्होंने कठोर तापमान, बर्फ़ीली बारिश और छींटे हवाओं के बावजूद तपस्या ( एक पैर पर ) में लगे चार महीने बिताए।
 इस यात्रा के 9 साल और 11 महीनों के बाद, वे 1799 के आसपास गुजरात राज्य में बस गए। 1800 में, उन्हें उनके गुरु, स्वामी रामानंद द्वारा उद्धव सम्प्रदाय में दीक्षा दी गई,रामानंद स्वामी ने अपने शिष्यों से कहा कि नीलकंठ मानव रूप में भगवान थे और मुक्ति का मार्ग थे। रामानंद स्वामी ने नीलकंठ दीक्षा दी और उनका नाम बदलकर हिम नारायण मुनि और सहजानंद स्वामी रख दिया। और उन्हें दिया गया। नाम सहजानंद स्वामी।
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Jai Mahakal ki

जन्नत की चाहत तो 72 हूरों का ख्वाब है
हम तो #महाकाल के भक्त हैं
हमें #चिताओं से भी प्यार है।।

आश्चर्य की बात है.. कि लोग जीवन को बढाना चाहते है.. सुधारना नही..हर हर महादेव🙏🙏


पढ़ते क्या हो आंखों में मेरी कहानी? … Attitude 😈 में रहना तो आदत है मेरी पुरानी 😎 #महाकाल


भटक भटक के ये जग हारा,संकट में कोई दिया ना साथ
सुलझ गई हर एक समस्या,महाकाल ने जब से पकड़ा हाथ...🔱जय बाबा #महाकाल 🙏


महाकाल को देवता नहीं अपना मित्र बना लो एक सखा एक अभिभावक जो भी करो बताओ सही गलत का आत्मिक अनुभव करा देता है मेरा महाकाल वो अपना है